About Us - Parvatibai Gokhale Vigyan Mahavidyalaya
दिंनाक: 20 Sep 2016 12:21:27 |
ग्वालियर राज्य में तत्कालीन शासकों द्वारा ग्वालियर तथा उज्जैन में उच्च शिक्षा की व्यवस्था की गई थी। उच्च शिक्षा कला एवं विज्ञान के विषयों की ही दी जाती थी। विधि की शिक्षा के प्रति तत्कालीन शासन उदासीन रहा।
ग्वालियर के कुछ प्रमुख समाज सेवी एवं शिक्षाविदों ने विधि की शिक्षा की कमी का अनुभव किया और विधि की कक्षाओं के लिये ‘विधि महाविद्यालय’ प्रारम्भ करने तथा सामान्य जनता को शिक्षा सुलभ हो इस उद्देश्य से दिनांक 15 अगस्त 1937 को एक शिक्षण संस्था प्रारम्भ की।
हमारे आधार स्तम्भ (संस्थापक)
स्व. श्री सदाशिव गणेश गोखले स्व. श्रीमती पार्वती बाई गोखले
ग्वालियर राज्य की इस प्रथम अशासकीय शिक्षण संस्था का नाम ‘ग्वालियर एज्यूकेशन सोसायटी’ रखा गया। संस्था के विकास एवं सुचारू संचालन में स्व. श्री सदाशिव गणेश (बाबा) गोखले एवं स्व. डॉ. हरि रामचन्द्र दिवेकर सहित अनेक महानुभावों का समर्पण, निःस्वार्थ शारीरिक एवं आर्थिक योगदान रहा।
विधि महाविद्यालय प्रारम्भ करने के प्रयत्न समिति द्वारा किये गये परन्तु उसमें तकनीकी कठिनाइयों के कारण सफलता नहीं मिली और हाईस्कूल प्रारम्भ कर क्रमबद्ध तरीके से उसे महाविद्यालय में उन्नत करने का निर्णय लिया गया।
दिनांक 21 जुलाई 1941 को नवी कक्षा के साथ ‘पार्वती बाई गोखले विद्यालय’ प्रारम्भ किया गया। प्रारम्भ पोतनीस की धर्मशाला, जीवाजीगंज के एक प्रकोष्ट में हुआ। इसमें 2 पूर्णकालिक अध्यापक और केवल 20 छात्र थे।
जुलाई 1945 में इण्टर मीडिएट कला की कक्षाएं, मई 1951 में इण्टर मीडिएट वाणिज्य एवं 1957 में इण्टरमीडिएट विज्ञान की कक्षाएं प्रारम्भ की जाकर जुलाई 1957 में पूर्ण विकसित इण्टर मीडिएट कॉलेज बन गया।
पोतनीस की धर्मशाला से विद्यालय काका साहेब शिंदे के बाडे़ में स्थानान्तरित हुआ और वहां से 1945 में मामा के बाजार में स्थित सरदार कदम साहब के बाड़े में स्थानान्तरित हुआ।
सन् 1945 में तत्कालीन ग्वालियर नरेश महाराजा जीवाजीराव सिंधिया ने अपने पुत्र (श्री माधवराव) के नामकरण के उपलक्ष्य में जीवाजीगंज स्थित ‘बालदे’ की भूमि समिति को विद्यालय के भवन के निर्माण के लिये दान के रूप में प्रदान की और उस भूमि पर भवन का निर्माण किया जाकर 1951 में ‘पार्वतीबाई इंटर कॉलेज’ वहां स्थानान्तरित किया गया।
मध्य भारत के निर्माण के पश्चात् ‘ग्वालियर एज्यूकेशन सोसायटी’ का नाम परिवर्तित कर ‘मध्य भारत एज्यूकेशन सोसायटी (मध्य भारत शिक्षा समिति)’ रख दिया गया।
मध्य प्रदेश के निर्माण के पश्चात् ‘विक्रम विश्वविद्यालय’ की स्थापना हुई और 10 अक्टूबर 1957 से बी.ए. की स्नातक कक्षाएं प्रारम्भ की जाकर पार्वती गोखले महाविद्यालय का प्रारम्भ हुआ। जुलाई 1958 से वार्णिज्य एवं 1959 में विज्ञान की स्नातक कक्षाएं प्रारम्भ की गई।
जुलाई 1959 में पार्वती बाई गोखले महाविद्यालय को चार स्वतंत्र इकाईयों में बॉट दिया गया।
• पार्वतीबाई गोखले विज्ञान महाविद्यालय - विज्ञान संकाय.
• माधव महाविद्यालय - कला, वाणिज्य संकाय.
• पार्वतीबाई गोखले बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय.
• सार्वजनिक माध्यमिक विद्यालय.
ग्वालियर प्रख्यात विद्यानुगामी स्व. श्री रामचन्द्र गणपत (राव साहेब) राजवाड़े ने अपना पारिवारिक भवन ‘राजवाडे भवन’ शैक्षणिक कार्य के प्रसार प्रचार हेतु मध्य भारत शिक्षा समिति को सौंप दिया और जुलाई 1960 से माधव महाविद्यालय एवं सार्वजनिक माध्यमिक विद्यालय को राजवाड़े भवन में स्थानान्तरित कर दिया गया।
समिति के संस्थापकों को पूर्ण रूप से सफलता 1969 में मिली जब माधव महाविद्यालय में विधि की कक्षाएं प्रारम्भ की गई। विधि संकाय का उदघाट्न प्रसिद्ध न्यायविद एवं केन्द्रीय मंत्री मा. सी.एम. छागला शिक्षा के कर कमलों से सम्पन्न हुआ।
मध्य भारत शिक्षा समिति के समस्त सदस्य इस बात के लिये कटिबद्ध हैं कि उत्तरी मध्य प्रदेश के शैक्षणिक विकास में वह निरन्तर योगदान देते रहेगे, इसी तारतम्य में पार्वती बाई गोखले विज्ञान महाविद्यालय में कम्प्यूटर विज्ञान, माइक्रो बायलॉजी और ऑद्योगिक रसायन जैसे व्यवसायोन्मुख विषयों को प्रारम्भ किया गया और माधव महाविद्यालय में एम.ए. अर्थशास्त्र (कम्प्यूटर) एवं एम.कॉम. (कम्प्यूटर) विषय के साथ प्रारम्भ किया गया। और बी.कॉम. में कम्प्यूटर का प्रश्न-पत्र प्रारम्भ किया जा रहा है। दोनों महाविद्यालयों में छात्रों की शैक्षणिकोत्तर गतिविधियों का पूरा ध्यान रखा जाता है। और राष्ट्रीय सेवा योजना, राष्ट्रीय कैडिट कोर की इकाईयाँ चलाई जा रही है। सभी संस्थाओं में पुस्तकालय एवं वाचनालय की व्यवस्था है और छात्रों को खेलकूद सांस्कृतिक गतिविधियों द्वारा सर्वागीण विकास के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।